कि यूं तो मौजूद है जिंदगी में खुशियाँऔरखुसनसीब लोगो का साथपर इस लेखनी में लिख रहा हूँ तो गिर रहे हैअल्फाज जैसे कोई नादाँ परिदा हैमन यहाँ तब तक ही लगेगा जब तकमाँ और ख्वाब जिन्दा है, दिन में निराशा लगी हाथ ,पर घर पे उसने हमेशा मौजूद सुकुन रखा …
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