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Bewafa Poetry In Hindi
February 22, 2020
कि यूं तो मौजूद है जिंदगी में खुशियाँ
और
खुसनसीब लोगो का साथ
पर इस लेखनी में लिख रहा हूँ तो गिर रहे है
अल्फाज जैसे कोई नादाँ परिदा है
मन यहाँ तब तक ही लगेगा जब तक
माँ और ख्वाब जिन्दा है, दिन में निराशा लगी हाथ ,पर घर पे उसने हमेशा मौजूद सुकुन रखा है
माँ के हाथों से जाने कितनी बार आधी रात को भी खाना पका है
कि यूँ तो भूखा नहीं रहता में हर दिन घर से दूर रहकर
पर जब तुम जबरदस्ती खिला देती हो
उस खाने जैसा स्वाद ओर कहीं नहीं मिलता है
इसलिए कहता हूँ मन यहाँ तब तक ही लगेगा जब तक
माँ और ख्वाब जिन्दा है,ठोकरों से यहाँ कोई और गिरते होंगे
मोहब्ब्त में ताज यहाँ कोई और चिनते होंगे
मैंने गुदवाया नहीं टैटू तुम्हारे नाम का माँ
तो क्या हुआ
मेरे चेहरे पे झलक रही है चमक
तेरे गुणों का सार जो मेरी सूरत में लिपदा है
मन यहाँ तब तक ही लगेगा जब तक
माँ और ख्वाब जिन्दा है,तुम जो रोते हो निकलते हुए ,हंसकर निकला करोगे वहीं से
सब तुम्हे मान लेंगे ,बस तुम मान लिया करो माँ की बात अभी से
कि उसका साथ कुछ उम्र तक ही मिलता है
फिर कोई नहीं समझेगा तुम्हारी हालात
क्योंकि उसका हाथ सिर्फ कपड़े ही नहीं जख्म भी सिलता है
मन यहाँ तब तक ही लगेगा जब तक
माँ और ख्वाब जिन्दा हैना वो अर्श प्यारा है,ना वो जमीं मुझे खुश रखने वाला,तेरा एहसास है “माँ“
सब दर्द भूल जाता हूँ जिसकी गोद में लैटकर मेरा सवेरा होता है जिसका चेहरा देखकर, जो हूँ उसकी बदोलत हूँ इतना कहना काफी नहीं वो हाथ तक जलने की परवाह नहीं करती मुझे देती है रोटी अच्छी तरह सेककर उसके पास दौलत से बढ़कर है ममता और बिना स्वार्थ का प्यार तुम्हारा बचपन जवानी उसने संभाली तुम उसे लेना बुढ़ापे में संभाल
हमेशा भारी रहेगा माँ का प्यार ,सब किस्सों से बढ़कर हम सिर्फ औलाद नहीं उसका हिस्सा है हमेशा रहेगें हिस्सा बनकर
आज फिर लिखते-लिखते बहक गई उंगलिया और लिखा माँ तो याद आ गया वो पुराना घर
माँ को खुदा नही सिर्फ माँ समझ लो क्योंकि मन्न्त पूरी होने पर इंसान खुदा को भूल जाता है
जो कभी नहीं थके वो थे माँ के हाथ और पांव
वक्त चल रहा है माँ ऐसे अफसाने में कि श्रृवण कुमार नहीं मिलते अब जमाने में
जिदंगी में क्या कमी है,अगर माँ तेरे संग खड़ी है
समझ लो तुमने जिदंगी में कभी कुछ नही खोया,अगर तुम्हारे घर में कभी माँ ने नहीं रोया